卍 ऊँ देवीदास जू नमो नमः श्री सांवले नमो नमः| पुरवा अधिपति नमो नमः जय देवी दास जू नमो नमः|| 卍

Monday, March 25, 2019

समर्थ साईं जगजीवनदास बंदना

अथ श्री जगजीवन वंदना🌷
जगजीवन शरणम् ममः,जगजीवन शरणम् ममः,जगजीवन शरणम् ममः,श्री जगजीवन शरणम् ममः(1)
अभरन जी की सीढ़ी बोले जगजीवन शरणम् ममः,
घाघरा जी की लहरें बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
श्री दलखम्भन कूप बोले जगजीवन शरणम् ममः,
श्री कोटवाधाम की गलियां बोलें जगजीवन शरणम् ममः।जगजीवन शरणम् ममः---------(4)
मन्दिर मन्दिर घन्टा बोले जगजीवन शरणम् ममः,
घण्ट शंख सहनाई बोले जगजीवन शरणम् ममः,
चारि पावा चौदह गद्दी  बोले जगजीवन शरणम् ममः,
भक्त मण्डली मिलकर बोले जगजीवन शरणम् ममः,-जगजीवन शरणम् ममः--–---(4)
बाग बाग वन उपवन बोले जगजीवन शरणम् ममः,
खजुरी वन के वृक्षो बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
फूल फूल पर मधुकर बोले जगजीवन शरणम् ममः,
डाल डाल पर पक्षी बोले जगजीवन शरणम् ममः,-जगजीवन शरणम् ममः-----(4)
कोयल काग पपीहा बोले जगजीवन शरणम् ममः,
दूध पिलाती गैय्या बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
आंगन बीच चिरैया बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
सरिता ताल तलैया बोलें जगजीवन शरणम् ममः,-जगजीवन शरणम् ममः-----(4)
बालक युवा वृद्ध सब बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
कोटवा के नर नारी बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
कोटवा पशु पक्षी बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
जीव जंतु कोटवा के बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
कोटवधाम का राज कण बोले जगजीवन शरणम् ममः,जगजीवन शरणम् ममः----(4)
वृंदावन व्रज गोकुल बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
पुरी द्वारिका काशी बोले जगजीवन शरणम् ममः,
अवधपुरी प्रयाग जी बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
चारों धाम अहर्निश बोलें जगजीवन शरणम् ममः,जगजीवन शरणम् ममः---(4)
क्षीर सिंधु कैलाश बोले जगजीवन शरणम् ममः,
गंगा यमुना सरयू बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
सरस्वती तिरवेणी बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
झरना झील सरोवर बोले जगजीवन शरणम् ममः,-जगजीवन शरणम् ममः-----(4)
सूर्य चँद तारागण बोले जगजीवन शरणम् ममः,
पानी पवन औ अग्नी बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
भूत प्रेत बैताल बोले जगजीवन शरणम् ममःगगन धरा पाताल बोले जगजीवन शरणम् ममः,-जगजीवन सरम्म ममः------–(4)
वेद पुराण उपनिषद बोले जगजीवन शरणम् ममः,
निर्गुण सगुण ब्रह्म पुनि बोलें जगजीवन सरम्म ममः,
ब्रम्हा विष्नु महेश बोलें जगजीवन शरणम् ममः,शारद शेष गणेश बोलें जगजीवन शरणम् ममः,-जगजीवन सरम्म ममः-------(4)
तैंतीस कोटि देवता बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
नारद जी की वीणा बोले जगजीवन शरणम् ममः,
मुरलीधर की मुरली बोले जगजीवन शरणम् ममः,
शिव शंकर का डमरू बोले जगजीवन शरणम् ममः,
हनूमान की करताल बोले जगजीवन शरणम् ममः,--जगजीवन शरणम् ममः-----(4)
देव दनुज  नर किन्ननर बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
जलचर थलचर नभचर बोले जगजीवन सरन ममः,
सात द्वीप नव खण्ड बोलें जगजीवन शरणम् ममः
कोटि कोटि ब्रम्हांड बोलें जगजीवन शरणम् ममः,-जगजीवन शरणम् ममः-----(4)
ऋषी मुनी सन्यासी बोलें जगजीवन शरणम् ममः,
योनि लक्ष चौरासी बोले जगजीवन सरन। ममः,
सकल जगत सचराचर बोलें जगजीवन शरणम् ममः-,।।जगजीवन शरणम् ममः,जगजीवन शरणम् ममः,जगजीवन शरणम् ममः,श्री जगजीवन शरणम् ममः। 
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