卍 ऊँ देवीदास जू नमो नमः श्री सांवले नमो नमः| पुरवा अधिपति नमो नमः जय देवी दास जू नमो नमः|| 卍

Tuesday, March 26, 2019

श्री गुरू चालीसा

🌷🌷अथ श्री गुरू चालीसा🌷🌷
🌷श्रीगणेशाय नमः श्री सतगुरुवे नमः🌷                            
दोहा:-श्री गुरु सतगुरु सामरथ,विनय करौं कर जोरि।
ऐगुन अघकर्म मेटि प्रभु,बुद्धि प्रगासहु मोरि ।
सात द्वीप नौ खंड में ,गुरु से बड़ा न कोय।
बड़े भाग्य सतगुरु कृपा,जाके ऊपर होय।।
🌷चौपाई🌷
बंदउँ गुरुपद पंकज पावन।
भ्रम संशय त्रय ताप नसावन।।-1
बंदउँ गुरुपद पंकज धूरी।
जो सब भाँति सजीवन मूरी ।।-2
बंदउँ सतगुरु केर खड़ाऊँ।                    
निश दिन रटौं  राम का नाउँ ।।-3
जय जय सतगुरु दीनदयाला।
सदा करत भक्तन प्रतिपाला।।-4
सतगुरु  सम दयालु कोउ नाही।
अस भरोस मोरे मन माही।।-5
राम कृष्ण दुइ ईश सुजाना ।
सतगुरु चरण लगावहिं ध्याना।।-6
जापर कृपा गुरु की होई।
तापर कृपा करै सब कोई ।।-7
सात द्वीप नव खण्ड मंझावै ।
बिन गुरु कृपा ग्यान नहिआवै।।-8
बिन गुरु भक्ति मुक्ति नहि होई ।
कोटि उपाय करै भल कोई।।-9
मूल मंत्र सतगुरु की बानी।
सुमिरत होय सकल अघ हानी।।-10
सतगुरु सकल जगत आधारा ।
सत्य शब्द कहि बेद पुकारा ।।-11
आदि अंत सब सतगुरु साईं।
कहँ लगि बरनौं मैं प्रभुताई ।।-12
गुरु राम गुरु माता सीता।
बन्दत हौं पद कमल पुनीता।।-13
देव दनुज नर किन्नर माहीं।
सतगुरु सरिस पूज्य कोउ नाहीं।।-14
जिनके भे सतगुरु  रखवारे।
ते नहि मरैं  काल के मारे।।-15
तीरथ व्रत जगत महँ जेते।
सतगुरु चरण कमल सब तेते।।-16
अगुन सगुन दुइ ब्रम्ह बखाने।
बिन गुरु कृपा न परहिं पहिचाने।।-17
कल्प बृच्छ सतगुरु सम नाहीं।
करि विचार देखहु मन माहीं।।-18
कल्प बृच्छ इच्छा फल देई।
सतगुरु निज सरूप करि लेहीं।।19
पारस नहिं गुरुदेव समाना।
विरलेन के मन उपजै ज्ञाना।।-20
पारस मणि गुण एक धरावै।
लोहा छुवे सोन ह्वै जावै।।-21
सतगुरु के अनन्त गुण अहहीं।
वेद पुराण संत सब कहहीं।।-22
सहस सारदा शेष मनावै।
गौरि गणेश कोटि कोउ ध्यावै।।-23
सकल धरा कै कागज करई।
सब बनराय कलम पुनि करई।।24
सत सागर की करै सियाही।
गुरु गुन तबहुँ लिखा नहिं जाई।।-25
गुरु अपमान न शिव सहि पावा।
जदपि भुसुंडि शंकरहिं ध्यावा।।-26
जब शिव श्राप भुसुण्डिहिं दीन्हा।
गुरु दयाल तेहिं पावन कीन्हा।।-27
जे गुरु कै नित दरसन करई।
ताकर कोटि जन्म अघ जरई।।-28
जेहि मन सतगुरु चरण अधारा।
तेहि के राम रहत रखवारा।।-29
जे नित गुरु चरणामृत चाखै।
सूरति सत्यनाम महँ राखै।।-30
जे गुरु पद रज माथे लावइ।
कोटि तिरथ कै फल सो पावइ।।-31
जेहिका मिलै गुरु की जूंठन ।
मानहु मिली अमी रस घूंटनि।।-32
जे निज गुरुहिं राम सम जानै।
तेहि कर भक्ति राम जिउ मानैं।।-33
जे गुरू चरनन सुरति लगावै।
सहजै राम भक्ति सो पावै।।-34
करि पुनि विनय चरण धरि माथा।
बंदउँ श्री सतगुरु रघुनाथा।।-35
सतगुरु संत संत सिरताजा।
शरण गहे कर राखहु लाजा।।-36
सतगुरु संत भक्त हितकारी।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।-37
निज जन जानि मोहिं अपनाओ।
भ्रम संसय सब दूरि भगाओ।।-38
प्रभु शिव शरण संत भगवाना।
मों कहँ देहु भक्ति वरदाना।।-39
"अधम"जयबख्श की विनय सुनीजै। 
सतगुरु भक्ति दान मोहिं दीजै।।-40
🌷दोहा🌷
गुरु राम गुरु कृष्ण हैं ,
गुरु हैं शिव का रूप ।
तीनिउ कै प्रतिरूप हैं,
सतगुरु सत्य सरूप।।🌷🌷

सो०-🌷माँगत हौं करि नेह ,
चरण कमल तर माथ धरि ।
राखि शरण महँ लेहु ,
मोहि नाथ प्रभु शिव शरण ।।

🚩🌷   आरती  🌷🚩
ॐ जै सतगुरु साईं,स्वामी जय सतगुरु साईं।
अपनी शरण लगा लो ,अपने हृदय लगा लो,निज सुत की नाईं।. .....ॐ जय ...
तुम पूरण परमात्मा ,तुम अंतरयामी।
सत्य पंथ संचालक सत व्रत अनुगामी।..ॐ जय ..
तुम हो एक अगोचर,जग मंगलकारी।
दीन बंधु करुणाकर, भक्तन हितकारी। ॐ जय...
देव, दनुज, नर, किन्नर, सब तेरे चेरे।
ऋषिवर, मुनिवर, कविवर,चरनन चित्त धरे।ऊँ जय .......
ब्रह्मा ,विष्णु, सदाशिव , तुमको नित ध्यावैं,वेद पुराण शास्त्र सब तुम्हरो यश गावैं..।ॐ जय..
मात पिता तुम मेरे, तुम पालन कर्ता।
पार ब्रम्ह परमेश्वर,कृपा करो भर्ता..।ॐ जय..
गणिका गीध अजामिल,गजराजहिं तारेव।
भक्त जनन के हित प्रभु,तुम नर तन धारेव ..।ॐ जय...
सतगुर जी की आरति,जो कोई जन गावे अष्टसिद्धि नव निधि फल,निश्चय ही पावे..।ॐ जय सतगुरु साईं,स्वामी जय सतगुरु साईं।।🚩🚩🌷🌷🚩🚩

No comments:

Post a Comment