卍 ऊँ देवीदास जू नमो नमः श्री सांवले नमो नमः| पुरवा अधिपति नमो नमः जय देवी दास जू नमो नमः|| 卍

Monday, March 25, 2019

साल्हा ग्रन्थ द्वितीय चरण

🌷सवैया:-वार न लागि समुद्र के लाँघत, लंकहि जारि सुरन बन्दि छोरी।पैठि पताल मारि महिरावण, राम लखन लायहु बरिजोरी।
जे कोउ मोहिं सतावत है, तेहि अँजनि नन्दन डारु मरोरी।जन गुरुदत पुकारि कहैं, हनुमान अहौँ शरणागत तोरी।।।राम
          "साल्हा "द्वितीय चरण
पापिन के मैं पास न बैठौं,वैसे परत्रिय देखि डेरावँ।
गुरु जगजीवन की कृपा ते,निसदिन रटउँ
राम का नाम।
परत्रिय विषम जहर का प्याला, जेहिके छुये बुद्धि मरि जाय।
तेहि ते सन्त रहत हैं न्यारे, सुमिरैं राम नाम लौ लाय।
धन औ धाम देखि जन भूलेव,यह कछु अन्त न आइहि काम।
दिनाचारि कै है जिन्दगानी, यारौं रटौ राम का नाम।
काहेक गरब गुमान करत हौ,काहेक करौ मोर औ तोर।
सुमिरत रहौ नाम दुइ अक्षर, निसदिन सुनौ गगन घनघोर।
पर उपकार नाम रटि लावौ,ऐसो बहुरि न पइहौ दाँव।
यारो जग महँ जस रहि जाई,कि रहि जाई विष्णु कर नाव।
राम रहीम करीमा केशव, वैसेन अलह अलख सब एक।
गुरुदत्त दास सतनामहिं सुमिरौ,मन ते तजिके तर्क अनेक।
राति रेंगावै औ दिन धावै,मन कतहूँ न करै मुकाम।
सुमिरै नाम बसै कोटवा मा,तेहिकै सुफल होइ सब काम।
जौ रजपूत रकारै पावै,तौ मन और न करै विचार।
गुरु जगजीवन की किरपा ते,यहु तौ भा भवसागर पार।
पानी पियै पियास के लागे,वैसेन भूख हुवै तौ खाय।
रहै भरोसे सत्यनाम के,सो तौ तरि बैकुण्ठ हिं जाय।
पहिल पवांरा भा सतयुग मा,बीरा आदिशक्ति उठि लीन्ह।
शुम्भ निशुम्भ का मारि संहारेउ,लैके राज दधीचहिं दीन्ह।
दूसर पवांरा भा त्रेता मा,बीरा हनूमान उठि लीन्ह।मारि रावना का सर करिकै, लै के राज विभीषण दीन्ह।
तीसर पवांरा भा द्वापर मा,बीरा अर्जुन पाँडव लीन्ह।
मारि कौरवहिं गर्द मिलायहु,लैकरि राज युधिष्ठिर दीन्ह।
चौथ पवांरा भा कलियुग मा,बीरा दूलन देवी लीन्ह।मोहड़ा रोंकेउ काम क्रोध कै,निसदिन राज चँदेलहिं कीन्ह।।।राम🌷🌷

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