卍 ऊँ देवीदास जू नमो नमः श्री सांवले नमो नमः| पुरवा अधिपति नमो नमः जय देवी दास जू नमो नमः|| 卍

Monday, March 25, 2019

साल्हा ग्रन्थ प्रथम चरण

🌷"समर्थ साहब गुरुदत्त दास जू" तृतीय गद्दीधर महन्त (तृतीय पावा "समर्थ साहब देवीदास"पुरवाधाम) द्वारा रचित साल्हा ग्रन्थ जो कि भक्ति ग्यानसे पूर्ण आध्यात्म क सागर है, जिस  का प्रथम चरण आप सभी भक्तों के लिए प्रस्तुत है, आनंद लीजिए।

🌷सवैया:-ध्यान धरै गुरु मूरति का सतनाम कै जिकर निरंतर लावै।
पाँच पचीस दसौ करि स्थिर, मन चँचल यह बहै न पावै।
बोलै सत्य असत्य कहै नहिं,कुमति दुराय सुमति प्रकटावै।
जन गुरुदत्त हुवैं ई लक्षण तौ सतनामी सन्त कहावै।(राम)।

श्री गणपति शारदहिं मनावौं, वैसेन ब्रम्हा विष्णु महेश।
सबसे अधिक गुरु का जानौं ,जिन मोहिं दीन नाम उपदेश।
सतगुरु जगजीवन जग आये, तबते अधम उठे हरषाय।
सुनि सतनाम रामपुर जइबै,जम की धरि छाती पर पाँय।
सत्यनाम की कीरति सुनि सुनि ,पापी आपस मा बतलाँय।
धागा बाँधि नाम रटि लाउब, नरकै जाईहि मोरि बलाय।
सत्यनाम मन्त्रन का राजा ,जेहिके भजे होइ सिध काज।
प्रभु जगजीवन सतगुरु साहब,हैँ सब सन्तन के सिरताज।
देवन मँह महादेव बडे़ हैं, वैसेन तीरथराज प्रयाग।
संतन मँह जगजीवन साहब,जिनका सत्यनाम हित लाग।
प्रभु देवी, प्रभु दूलन जानहुँ, वैसेन प्रभु गोसाईं सुख धाम।
साहेब ख्याम के चरण मनावौँ,निशदिन रटउँ राम का नाम।
चारि वजीर चौदहउ गद्दी, जानौँ सबै राम का रूप।
प्रभु जगजीवन की कृपा ते, निशदिन सुमिरौं नाम अनूप।
सत्यनाम जो रटै निरन्तर, तेहिके चरण नवावौँ शीश।
कृपा करहु गुरुदत्त दास पर ,जल्दी आय मिलहु जगदीश।
ब्रम्हा विष्णु शिव शारद नारद,देवता सबै तैँतिसहु कोटि।
कृपा करहु गुरुदत्त दास पर,जहँ लगि अहौ बड़े औ छोटि।
नर तन पाय न हरि हर सुमिरै,और न करै सन्त सतकार।
तेहिकै जनम अकारथ जानहु, वहिके जीवै का धिक्कार।
सीताराम भजन करु प्यारे,औ करु नित परार उपकार।
नाहिं तौ काल कलेवा करिहैँ,तब तुम रोइहौ छाँड़ि डफार।
पर उपकार नाम रटि लावै,राखै गुरु चरणन पर ध्यान।
परत्रिय मातु बराबर जानै,जेहिके अनुभव उपजै ग्यान।
कोउ कोउ तीरथ व्रत करत है, कोउ कोउ पूजै कास पषान।
जन गुरुदत्त नाम रटि लावै, सुनि सुनि गैव मुरलिया तान।।।।🌷🌷

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