समर्थ सदगुरू साहेब श्री शिवशरण दास जी (पष्टेम गद्दीधर महन्थव पुरवाधाम) समर्थ साहब का संक्षिप्त परिचय-:
समर्थ सदगुरू श्री शिवशरण दास जी समर्थ साहब देवीदास साहब (पुरवाधाम) के पंचम गद्दीधर महन्थश समर्थ साहब सहॉय दास जी के ज्ये(ष्ठम पुत्र थे आप प्राथमिक पाठशाला में अध्याहपक थे आपका जीवन अत्यदन्तज सादगी पूर्ण था आपने सत्य नाम सुमिरन को ही अपने जीवन का उद्देश्यक माना और आठो पहर आप अजपा जाप करते हुए गांव समाज के हर वर्ग धर्म के लोगों को सतपथ पर चलने की प्रेरणा देते रहे उनको छोटे छोटे बच्चोंर से अधिक ही लगाव था आपने हमेशा गरीब और असहाय लोगों की हर संभव मदद की आप गुप्तर सिद्ध संत थे अपने आप को हमेशा बाहरी आडम्बसर से दूर रखा आपके अनगिनत शिष्य हुए तथा आपसे दीक्षा लेकर अपने जीवन को सवारा एवं आपके बताए सत्यिपथं को अनुसरण किया और आज भी कर रहें है। आपको गुरू परिवार (कोटवाधाम) से अगाध प्रेम था इतना प्रेम गुरू दरबार के प्रति था कि अगर कोई भक्तप कोटवाधाम का दर्शन करके आता और साहब को बताता कि सरकार हम कोटवा दर्शन करके आ रहे हैा तो साहब श्री शिवशरण दास जी इतना आनन्दित और भाव विभोर हो जाते कि उसको बार बार प्रणाम करते, और कहते आप हमारी गुरूद्वारे से आ रहे है आप तो हमारे लिए बन्द नीय है। घर में जाकर कहते कि देखो यह भैया कोटवा धाम दर्शन करके आए हैं। हमारे गुरूद्वारे से आए हैं इनको खूब अच्छाय-अच्छाआ खिलाओ पिलाओ इनकी सेवा करो कई बार तो खुद जाकर प्रसाद और पानी ले आते तो कुछ लोग कहते अरे साहब आप बैठिए हम लोग इनकी सेवा करेंगें तो साहब कहते चलो तुम लोग बैठो अपना अपना काम करो, तुम क्याा जानो, ये हमारे गुरूद्वारे से आए हैं हम खुद इनकी सेवा करेंगेा धन्यम हैं आप समर्थ सद्गुरू साहब और धन्यद है आपकी गुरू भक्ति और गुरू परिवार और गुरू दरबार के प्रति आपका अथाह प्रेम आपके श्री चरणों में बारम्बाऔर बन्दऔगी है।
No comments:
Post a Comment