卍 ऊँ देवीदास जू नमो नमः श्री सांवले नमो नमः| पुरवा अधिपति नमो नमः जय देवी दास जू नमो नमः|| 卍

Thursday, March 14, 2019

कीर्ति गाथा 2

          कीरति समर्थ साहब देवीदास जी की : समर्थ साहब देवीदास जी का नाम सत्यानाम सम्प्रसदाय में बडे ही श्रद्धा एवं आदर से लिया जाता है। आपकी गुरूभक्ति सदाही आद्वीतीय थी। आपने जीवन पर्यन्ता सत्यदनाम का अजपा जाप करते हुए अपने समर्थ सद्गुरू समर्थ स्वारमी जगजीवन साई जी द्वारा दिए गये उपदेश एवं सत्यमव्रत का पालन किया। आपके बारे में सत्यवनाम सम्प्रददाय के महान अवधूत संत समर्थ साहब गुरूदत्त  दास जी ने अपने दोहावली ग्रन्थ् में लिखा है कि ।


दोहा: साहेब देवीदास का बडा है परताप 
जिनकी कृपा कटाक्षते, अजपा आपुहिं आप।।
साहेब देवीदास का बडा अहै अकबाल।
जिनके सुमिरन के किहे, निकट न आवत काल।
साहेब देवी दास का रहा सुयश जग छाय।।
देखा अपनी ऑखते, मुर्दा दि‍हिन जियाय।
साहेब देवीदास कै, जे कोउ शरनहिं जाय।
मन वच कर्म दृढायकै, रहै नाम रटिलाय।।
साहेब देवी दास कै, जेकोउ लखै समाधि।
मन वच कर्म दृढायकै, रहै नाम अवराधि।। (दोहावली कृत गुरूदासजू)
समर्थ स्वामी जगजीवन साहेब के पुनरावतार समर्थ साहब श्री गिरवर दास साहब ने लिखा है कि
दोहा: महासंत सतनामके दूलन देवीदास।
गिरवर बंदै इनहिं जो, ते हि अघ होय विनास।।

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