समर्थ साहब गुरूदत्तु दास जी द्वारा एक मृत व्यतक्ति को अपने तप और भक्ति की शक्ति के द्वारा अपनी उम्र के पॉच वर्ष देकर पुन: जीवित करना :-
एक बार समर्थ साहब गुरूदत्त् दास साहब अपने एक भक्तस के यहॉ किसी कार्यक्रम मे भाग लेने के लिए गये थे। समर्थ साहब के दर्शनार्थ गांव के तमाम लोग इकठ्ठा हो जाते थे। आस पास के गांव में भी जो सुनता कि समर्थ साहब पधारे हैं तो दर्शन करने की लालसा और अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु लोंगो की लाइन की लाइन लग जाती कार्यक्रम चल ही रहा था उसी दरम्यातन पडोस के गांव में एक व्यैक्ति की मौत हो गयी जिसकी मौत हुई उसके घर में उसकी बूढी मॉ के आलावा कोई न था। मतलब उस वृद्ध महिला का इकलौता सहारा भी उससे हमेशा के लिए बेसहारा छोड गया। बृद्ध महिला का रो रो कर बुरा हाल था। वह व्याक्ति बहुत ही भला आदमी था अत: उसकी मौत से गॉव के सभी लोग दु:खी थे और एक ही चर्चा थी कि अब उसकी मॉ का क्याा होगा। तभी किसी ने वृद्ध महिला को बताया कि पडोस के गांव में पुरवाधाम के साहब आए हुए है अत: आप उनके दर्शन करके उनसे प्रार्थना करें अगर उनकी कृपा हो गयी तो कुछ भी असंभव नही है। वे बहुत पहॅुचे हुए संत है। लोग उन्हेंृ इश्वकर का दूसरा रूप कहते एंव मानते है। गम की मारी बेचारी वृद्ध महिला अपने बेटे के शव वहीं छोडकर साहब के पास जाने के लिए भागी और इधर जब साहब ने लोंगों के द्वारा उस दुखियारी की व्याथा सनी तो स्वधयं गॉव के लोगों के साथ उस मृतक को देखने के लिए चल दिये। रास्तेा में जैसे ही उस दुखियारी वृद्ध महिला को लोंगोंने देखा जो रोती बिलखती बदहवास सी भागी चली आ रही थी तो सबने बताया की साहब यह वही दुखियारी है जिसका लडका मर गया है। साहब ने वृद्ध महिला को रोककर सांत्वुना दी और कहा भगवान पर भरोसा रखो और तुम्हे अपने बेटे को इस तरह छोडकर नही आना चाहिए था। साहब जब वृद्धा के घर पहॅूचे तो वहॉ दृष्यो अत्यचन्तस ही हृदय विदारक एंव शोक संतप्तध था। समर्थ साहब ने अपनी तपस्याो एवं भक्ति की शक्ति के बल से जान लिया कि इसकी आयु पूरी हो गयी अत: समर्थ साहब गुरूदत्ते दास साहब ने अपने हाथ में जल लेकर उसे मन्त्रपवत किया और वही जल मृतक शरीर के उपर छिडक दिया और कहा इनकी उम्र इतनी ही थी अत: इनको आज मरना ही था, नियति को यही मंजूर था। किन्तु मैं अपनी उम्र से पॉच वर्ष इनको देकर पुन: जीवित कर रहा हॅू और उसके सिर पर हाथ फेर दिया और उस मृतक के शरीर में फिर से प्राण वापिस आ गया और वह उठकर बैठ गया सब लोग खुश होकर साहब की जय जयकार करने लगे। (कहते है कि साहब ने उसी समय यह भी बता दिया था कि मेरी उम्र अब पॉच वर्ष कम हो गयी है। एवं अपने सतलोक गमन की तिथि एवं समय भी बता दिया था। और बाद में साहब के बताये हुए समय एवं तिथि पर समर्थ साहब गुरूदत्त। दास साहब का सतलोक गमन हुआ इस बात का प्रमाण भी मिलता है।
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