कीरति समर्थ साहब गुरूदत्तत दास साहब जी का जीवन परिचय: समर्थ साहब गुरूदत्त. दास जी का नाम सत्यतनाम सम्प्रजदाय में बडे ही श्रद्धा एंव आदर से लिया जाता है। आप जगन्नादथ स्वासमी के पुनर्वातार संत सिरोमणि जगजीवन साहब के तृतीय शिष्य एवं वजीर समर्थ साहब श्री देवीदास जी के पुत्र एवं सत्यवनाम सम्प्रेदाय के महान विदेही संत समर्थ साहब श्री अनूपदास जी के पुत्र थे। आपमें बाल्या काल से ही संत सेवा और ईश्वएर की भक्ति में आपार रूचि थी भक्ति और नाम साधना की सुरति की प्रवृति आप में अतुल्य थी। आपने सत्यीनाम सम्प्र दाय के मूल उदेश्योंर को अपने जीवन में धारण किया एवं गृहस्थाि श्रम में रहकर ही अजपा जाप और सूरति के अभ्याेस के द्वारा इश्विर की अखण्डी भक्ति की. आप सत्यदनाम समप्रादय के अवधूत संत थे। सरस्वसती जी की असीम कृपा से आपने तमाम ग्रंथ रचे आपकी रचना भक्ति रस से ओत प्रोत थी आपके द्वरा रचित ग्रंथो मे से दोहावली, शब्दाभवली, कोटवा महातम, साल्हाव, जगजीवन अष्टदक, एवं सत्य नाम अष्टरक आदि प्रमुख हैं आपकी वाणी सिद्ध थी आपने अपने जिवन काल मे अनगिनत लोंगो का कल्याखण किया। आपकी कीरति संग्रहीत की जाए तो बहुत बडा ग्रंथ तैयार हो जाएगा जिसे संग्रहीत करके क्रमबद्ध करना साधारण जन मानस के बस की बात नही
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